July 04, 2022 5Comments

बेटी का प्यार

-अंजलि, भवाली

काश माँ मैं तितली होती,
आजादी से घूमती रहती।
सुबह-सुबह माँ मैं उड़ जाती
फूलों से रंग चुरा के लाती।
बन जाती तेरे होठों की खुशी,
काश माँ मैं तितली होती।
रंग बिरंगे फूलों से मैं
श्रिंगार तुम्हरा करती माँ।
तुमको हमेशा हँसाती में,
रूलाती कभी ना।
काश माँ मैं तितली होती,
हवा में चुपके से उड़ जाती
माँ।
तेरे आंसू मेरे लिए हैं
सिप के जैसे मोती।
तुम रोती हो तो मुझको,
दर्द बहुत है होती।
आँखो से गिरने ना देना,
माँ अपने ये मोती।
जो तुमको रूलाऐगा माँ
उनको ना बकशूगी,
लगाके ज्ञान वाले पंख,
तुमको ले उड़ जाऊँगी।
सारी खुशियाँ भर तेरी झोली
मे ले आऊंगी।
काश माँ मैं तितली होती
लेकर तुमको उड़ जाती
कितना सुन्दर ये संसार हैं
तुमको दिखाती माँ।
ओस की बूंदे गिरी हुई हैं
फूलों और पत्तों में माँ।
देख तुम खुश हो जाती
मेरा मन चंचल हो जाता।
और हम उड़ जाते माँ,
काश माँ मैं तितली होती
हवा में चुपके से उड़ जाती।

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gtripathi

5 comments

  1. Behad khubsurat aur bhaavatmak kavita…

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  2. Very beautiful poem heart touching

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  3. Bahut axhi kavita hai or bhi kavita likhte rehna

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  4. Hello my really friend

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  5. Bahut sundarta sa shabdon ko piroya gya h..

    Yun hi aage badte rahe…

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