-हिमांशु पाठक, हल्द्वानी उत्तराखंड
आँसु, तूने दिये, मैं दुआ देता हूँ,
खुश रहें तू सदा, ये दुआ देता हूँ ।।
आँखों से, तेरे आँसु कभी ना बहे;
तू! जहाँ भी रहे, बस सदा खुश रहें,
मैं यही प्रार्थना, ईश से करता हूँ।।
तूने दर्द दियें, मैं दुआ देता हूँ,
तेरे आँसु को में, मैं अपना लेता हूँ,
तुझको अपनी मैं सारी खुशी देता हूँ ।।
जीवन संगी के संग,जीवन-पथ पर ,
तू चल, तेरी खुशियों के खातिर ,
मैं ,पथ ये छोड़ देता हूँ ।।
शूल, पथ पर तेरे पद ना चूभें,
पथ पर, तेरे,मैं फूल बिखेर देता हूँ ।।
शूल अपने हाथों से चुन-चुनकर ,
मैं रास्ता तेरा सहज करता हूँ ।।
भूल जा अब मुझें, मेरी चाहत ना कर,
तूने ही था चुना निर्णय तेरा था।।
संगी संग अपने पथ तू! आगे बढ़।।
मैं खुश हूं, नाहक मेरी चिन्ता न कर।
कल भी था मैं तन्हा, आज भी हूँ तन्हा,
चल तू पग में, संगी संग ,मैं विदा लेता हूँ,
खुश रहे तू सदा ये दुआ देता हूँ ।।