-मनोज भट्ट, ओखलकांडा
चुनौतियों का दौर थम ही नहीं रहा,
एक से निपटने के बाद दूसरा ,
समय-समय पर दस्तक दे रहा।
कायम हूं अभी उम्मीदों पर कि,
वक्त अच्छा दौर भी लाएगा।
अभी साथ नहीं है तो क्या हुआ,
वक्त कभी तो साथ चलेगा।
सोचता हूं कि सपने भी पूरे करने हैं,
इसलिए सही वक्त के लिए उत्साहित हूं।
पूछता रहता है कि कब वक़्त मेरा आए,
मन को समझा ही नहीं पाता हूं।
जिंदगी की इस लड़ाई में मैं,
अजय ही तो रहा हूं अब तक।
एक-एक कदम ही सही लेकिन,
सपनों की ओर तो बढे जा रहा हूं।
चुनौतियों तो हैं ही, लेकिन
इनसे निपटने का साहस भी साथ है।
चाहतों की किताबें भी लिखी हैं,
इन्हें सच करने का जुनून भी साथ में है।
तभी तो ये चुनौतियां केवल मात्र,
हिस्सा है एक सफलता की कहानी का।