– ललिता परगाँई, गौलापार हल्द्वानी
माँ I Am sorry माँ …❤️🙏
तेरे डाँटने पर मैं, तुझपर चिल्लाती हूँ।
गुस्सा करती, तुझसे झगड़ती
बात समझ नहीं पाती हूँ।
तेरी कही गई बात मुझे,
झटपट बूरी लग जाती है।
जबकि वह मेरे भले के लिए ही बोली जाती है।
माँ I Am sorry माँ ..❤️🙏
यह दुनिया मैने घूम ली ,
यह जग भी मैंने घूम लिया।
पर ऐसा कोई व्यक्ति न था ,
जो बिन मतलब समझाए।
न तेरी तरह कोई प्यार करे,
न कोई करे दुलार।
इस दुनिया में सब स्वार्थी,,
न करे प्रेम निस्वार्थ।
माँ I Am sorry माँ…❤️🙏
मैं करती हूँ वादा तुमसे,
अब नहीं चिल्लाऊँगी।
छोटी-छोटी बातों पर,
गुस्सा नहीं दिखाऊँगी।
सही गलत को ध्यान में रखकर,
अपना कदम उठाऊँगी।
माफ मुझको कर देना,
जो मैंने इतने जख्म दिये।
जो दर्द है मैंने तुमको दिया,
यह गलती नहीं दोहराऊँगी।
माँ I Am sorry माँ…❤️🙏
September 10, 2024
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