August 20, 2022 0Comment

घर-घर तिरंगा

-अमीशा रावत, निर्मल आश्रम ज्ञान दान अकादमी, ऋषिकेश

अखबार के उस पन्ने पर
छपा था एक ज्ञापन,
घर-घर लगेंगे झंडे, हुई मैं तत्पर
इस शुभ अवसर पर।

पर क्या! देखा एक निर्बल जन को
कहता जो, झंडा तो है मेरे पास
पर घर तो हो रहने को
विस्मित हो देखा मैंने उसके मुख को।

सोचा तत्क्षण मैंने, क्योंकर
हो पाएगा निबाह हमारा
जो भाव-विपन्न होकर,
कहलाए सर्वसंपन्न क्योंकर।

 

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gtripathi

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