July 12, 2022 2Comments

कशमकश

-पूजागौरव ऐरी, कुसुमखेड़ा हल्द्वानी

जीवन में अजीब कशमकश है
कभी आस कभी विश्वाश है ।

ना कोई डोर ना कोई छोर
जाने ये चले किस ओर ।

जो पाया कभी सोचा नहीं
जो सोचा कभी मिला नही।

आज भी दिल उदास है
उनके लौट आने की आस है।

कई सपने संजोए हुए है
कई उम्मीदें लगाए हुऐ है।

कभी ये उगते सूरज सी लगे
कभी लगे झिलमिलाते तारे।

 

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gtripathi

2 comments

  1. Bahut sundar line

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  2. Wah wah kya baat h

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