-पूजागौरव ऐरी, कुसुमखेड़ा हल्द्वानी
जीवन में अजीब कशमकश है
कभी आस कभी विश्वाश है ।
ना कोई डोर ना कोई छोर
जाने ये चले किस ओर ।
जो पाया कभी सोचा नहीं
जो सोचा कभी मिला नही।
आज भी दिल उदास है
उनके लौट आने की आस है।
कई सपने संजोए हुए है
कई उम्मीदें लगाए हुऐ है।
कभी ये उगते सूरज सी लगे
कभी लगे झिलमिलाते तारे।
July 14, 2022
Bahut sundar line
July 14, 2022
Wah wah kya baat h