July 11, 2022 1Comment

माँ याद आती है

-पूजा नेगी (पाखी), पुराना बिंदुखत्ता, लालकुआं

तेरी ममता की छांव मुझे
माँ अकसर याद आती है।
तन्हाई के हर आलम में
एक एहसास बन जाती है।

एहसासों के आलम को
माँ जीना सीखा देती है।
गुमनाम सी जिंदगी को
एक पहचान दे देती है।

दूरी तुझसे कितनी भी हो
माँ याद तेरी आ जाती है।
नम आँखो से अकसर मेरे
बहते अश्क ले जाती है।

खामोशी मेरी आँखो की
एक पल में पढ़ लेती है।
अधूरे दिल के सपनो को
पल में पूरा कर देती है।

सुख व दुःखो के लम्हो से
माँ वाकिफ करा देती है।
दुनिया के हर दुःखो से
उभरना सीखा देती हैं।

मन की हर नाराजगी को
एक पल में मिटा देती है।
तेरी ममता की छांव मुझे
माँ अकसर याद आती है।

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gtripathi

1 comments

  1. Nice poem

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