_______________20 अक्टूबर 2019________________
-मंथन रस्तोगी, हल्द्वानी, मुलाकात विद मंथन
ग्रीन वुड्स पब्लिक स्कूल के कैंपस में लगे हरफनमौला साहित्यिक संस्था के पोस्टर को केवल देख कर मैं, महसूस कर पा रहा था कि यह पोस्टर जिस इवेंट का है, वो इवेंट मेरी ज़िन्दगी में मेरे लिए हमेशा ख़ास रहने वाला है चूंकि पहला है । और ख़ास रहने वाला है वो स्कूल, वो कैंपस, हरफनमौला संस्था, संस्था को स्थापित करने वाले शख्स, शख्स से याद आया मैं दीपांशु भैया से बात कर ही रहा था कि वह शख्स वहां पहुंच गए । ज़्यादा मैं जानता था नहीं, मगर जिस तरीके से वहां सब उनका आदर सम्मान कर रहे थे, वो देखने योग्य था । ऐसा लग रहा था कोई बढ़िया लेवल का जुझारू, अद्भुत इंसान ही होगा । और वक्त के साथ मैं जान गया कि वाकई में वे इंसान अद्भुत हैं । वेे व्यक्ति थे हरफनमौला साहित्यिक संस्था के संस्थापक, अमर उजाला के वरिष्ठ पत्रकार, साहित्यकार, हास्य कवि और हर युवा के मार्गदर्शक गौरव सर ।
गौरव त्रिपाठी सर से मेरी पहली मुलाक़ात वहीं हुई थी, सर की आंखों पर वो चश्मा, सर के कपड़े पहनने का ढंग बयां करता है कि वे कितना सादगी से भरा जीवन व्यतीत करने में यकीन रखते हैं । और वे यकीन रखते हैं यकीनन, हर उस युवा प्रतिभा में, जिसे समाज ने उसके शुरुआती पलों में पहचानने से इंकार कर दिया होता है और कह दिया होता है तुमसे नहीं हो पाएगा । मैंने कई उदाहरण देखे हैं अपने शहर में, जो ये कहते नहीं थकते कि, गौरव सर ना होते तो शायद कभी मंच नहीं मिलता या हम नहीं लिख रहे होते आज ।
रहबर परिवार के कार्यक्रमों में सर हमेशा शिरकत करते हैं, और सभी लोगों को अपनी कविताएं सुनाने के साथ साथ, अपने आप को प्रस्तुत करने के तरीके से ही काफी कुछ सिखा कर जाते हैं, हर बार । शहर में अगर कोई है जिसने पारम्परिक कवि गोष्ठियों को उसी रूप में आज भी जीवित किए हुआ है तो सर के अलावा ज़्यादा नाम मेरे ज़हन में हिचकोले नहीं मारते ।
नए कार्यों में हमेशा सर की रुचि देखी है मैंने, कोई भी कार्य किसी भी तरह से साहित्य से जुड़ा कार्य, अगर शहर में हो रहा है तो गौरव त्रिपाठी सर उससे जुड़े होंगे ही होंगे, इस प्रकार की छवि है सर की मेरे दिल ओ दिमाग़ में । और किताबें लिखना, पत्रकारिता, कविता पाठ करने के साथ साथ सर समय समय पर प्रतियोगिताएं भी आयोजित किया करते हैं, हरफनमौला संस्था के तत्वाधान में और अमर उजाला में भी लगातार हम युवा कलाकारों को और हमारी रचनाओं को दर्ज कर एक प्लैटफॉर्म प्रदान करते हैं ।
कुल मिला कर सर का जीवन पत्रकारिता, कविता, साहित्य, युवाओं के लिए समर्पित रहा है और आगे भी ऐसा ही रहेगा, मुझे उम्मीद है । सर के साथ हमेशा ही बातचीत करने में आनंद आता है, महसूस होता है कि कितना कुछ है जानने को, ज़िन्दगी के हर पहलू के बारे में ।
सर को मिले सम्मानों और पुरस्कारों का एक छोटा सा विवरण करती हुई तालिका आप सब के साथ साझा करते हुए आपसे विदा लेता हूं –
1. व्यंग्य श्री सम्मान हल्द्वानी 2012
2. शोभना सम्मान दिल्ली 2015
3. आधुनिक दुनिया अवार्ड सितारगंज 2015
4. व्यंग्य रत्न सम्मान हल्द्वानी 2016
5. हास्य रत्न सम्मान शाहजहांपुर 2017