होली पर कवियों ने जमाया रंग
हल्द्वानी। होली के उपलक्ष्य में हरफनमौला साहित्यिक संस्था की ओर से रविवार 14 मार्च को दिन में 12 बजे से मंगलम मैरिज लाॅन रामपुर रोड हल्द्वानी में विराट कवि सम्मेलन एवं पेंटिंग प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। इस दौरान साहित्य सेवा के लिए रूद्रपुर की कवयित्री शारदा नरूला, हल्द्वानी के युवा कवि दीपांशु कुंवर और समाजसेवा के लिए डाॅ. खुशबू पांडेय, रमा पांडेय को विशेष रूप से सम्मानित किया गया। होली पर कुमाउं भर से आए कवियों ने विभिन्न रसों में कविताओं को पढ़कर रंग जमा दिया।
कार्यक्रम का शुभारंभ आप के प्रदेश प्रवक्ता समित टिक्कू, एक नई दिशा संस्था के अध्यक्ष विजय पाल, भाविप के रीजनल सचिव भगवान सहाय, शिवालिक रेस्टोरेंट के प्रबंधक हरीशचंद्र सुयाल, जी-किड्स स्कूल के प्रबंधक विवेक वशिष्ठ, उत्तरांचल दीप के महाप्रबंधक नागेश दुबे ने दीप प्रज्ज्वलित करके किया।
कवि सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे वेदप्रकाश अंकुर ने सुनाया-वो कुर्सियों में बैठकर गरीबों का धन पी रहे हैं, बेचारे गरीबी का गम पी रहे हैं। पुष्पलता जोशी ने कहा- हो प्यार का ऐसा पक्का रंग, चढ़ पाए न कोई दूजा रंग। लालकुआं से आए मोहन चंद्र जोशी ने सुनाया- सोचा था बनेगा ख्याब इक हकीकत कि जिंदगी संग-संग सारी की सारी। रूद्रपुर से आए डाॅ. सबाहत हुसैन खान ने सुनाया-आंख नम चाहिए आजिजी के लिए, थोड़े गम चाहिए जिंदगी के लिए।
मंथन रस्तोगी ने कहा-होलिका सी जलेंगी बुराई सभी, होली सब दूरियों को मिला जाएगी। मयंक कुमार ने कहा-मां का आंचल मुझे याद आता है, मां का घुटने बिठाना याद आता है। सितारगंज से आए रितेश जिंदल ने कहा-अभाव में हम या हमसे अभाव हो गया है। भवाली से आईं शोभा आर्या ने कहा-नारी हूं मैं जन्म से ही कई रंग साथ लाती हूं। विमला जोशी विभा ने कहा-जब तक तू साथ थी मैं तो एक बच्ची थी मां। सोनू उप्रेती सांची ने सुनाया-आया रंगों का त्योहार, सखी चली बसंती बयार। विद्या महतोलिया ने कहा-मुझे तो एक रंग अपने प्यार का लगा दे, बफा कर मुझसे फिर चाहें कुछ भी सजा दे। डाॅ. गुंजन जोशी ने कहा-रंगदीनी रंगदीनी श्याम रंगदीनी। राधिका राठौर ने कहा-मैं रंग बनूंगी तुम पानी बन जाना, होली के बहाने ही सही आकर मुझसे मिल जाना। रूद्रपुर से आईं शारदा नरूला ने सुनाया-आया आया आया फागुन आया, तन को भिगोने, मन को भिगोने। आशा बाजपेयी संभवी ने कहा-धूम मचाता फागुन आया, संग अपने मस्ती को लाया। शक्तिफार्म सितारगंज से आईं पुष्पा जोशी प्रकाम्य ने कहा-ढोल मृदंग मंजीरों के संग, गीत मिलन के गाएं। पंतनगर से आए केपी सिंह विकल ने कहा-फागुनी बयार संग टूटे अंग-अंग ये तो। संचालन हास्य कवि गौरव त्रिपाठी ने किया।
उनके साथ दीपांशु कुंवर, बिपाशा पौडियाल, सूरज गौनिया, त्रिवेंद्र जोशी, सुंदरलाल मदन, रोहित केसरवानी, ओम शंकर मिश्रा, राजीव कुमार, राकेश शर्मा, सुधा जोशी, संजय गुप्ता, नीरज मिश्रा ने कविता पाठ किया। कार्यक्रम में तरूण सक्सेना, आशा शुक्ला, नीरज वाष्र्णेय, धीरज पांडे, कमल सुयाल, दीपक भाकुनी आदि मौजूद रहे।