– भुवन बिष्ट, रानीखेत (उत्तराखण्ड)
हिन्दी न केवल बोली भाषा,
ये हमारी शान है।
मातृभाषा है हमारी,
ये बड़ी महान है।।……..
चमकते तारे आसमां के ,
हैं भारत के वासी हम।
कोई चंद्र है कोई रवि,
कोई यहां भी है न कम।।
आसमां बनकर सदा,
हिन्दी मेरी पहचान है।
हिन्दी न केवल बोली भाषा ,
ये हमारी शान है।।
मातृभाषा है हमारी,
ये बड़ी महान है।…
पूरब है कोई पश्चिम,
कोई उत्तर है दक्षिण।
अलग अलग है बोलियां,
पर एक सबका है ये मन।।
अंग भारत के हैं सभी,
हिन्दी दिल की है धड़कन।
एकता में बांधे हमको,
इस पर हमें अभिमान है।।
हिन्दी न केवल बोली भाषा,
ये हमारी शान है।
मातृभाषा है हमारी,
ये बड़ी महान है।।…
बने राष्ट्रभाषा बनी राजभाषा,
मातृभाषा भी बनी,
आओ इसको हम संवारें,
हिन्दी के हम हैं धनी।
गर्व हिन्दी पर है हमको,
एकता में जोड़े सबको।
आंकते कम हैं इसे जो,
वे बड़े नादान हैं।।
हिन्दी न केवल बोली भाषा,
ये हमारी शान है।
मातृभाषा है हमारी,
ये बड़ी महान है।।………