जैसे मां होती बच्चों की फुलवारी
वैसे ही पिता होते बच्चों की परछाईं
खिलौने लाते सदा पिताजी,
डांटकर मनाते सदा पिताजी,
सबके पिताजी एक
हमारे पिताजी हमारे लिए लाते नमकीन
बिस्कुट और केक
पिता होते बच्चों की परछाईं
पर कभी-कभी बच्चे कर देते उनकी बुराई
बच्चे और पिता का रिश्ता होता है अनोखा
दुनिया में सबसे खूबसूरत होता है यह रिश्ता
जब बच्चा रूठ जाता है तो पिता उन्हें मनाते
और जब पिता रूठ जाते तो बच्चे उन्हें मनाते
कभी पिताजी नरम होते
कभी पिताजी सख्त होते
परछाई ही वह जो न छोड़े किसी का साथ
और पिता न छोड़े बच्चे के सिर से अपना हाथ
जैसे परिवार के बिना घर अधूरा है।
वैसे ही पिता के बिना दुनिया सूनी है।
-निकिता बिष्ट, लेक्स इंटरनेशनल स्कूल भीमताल