आपकी परछाइयों से ही तो घिरी हुई हूं मैं ,
बस आप में ही तो रमी हुई हूँ मैं ।
आपका होना ना होना एक बराबर होता है ,
क्योंकि साया आपका हमेशा मेरे साथ ही तो होता है ।
कुछ अच्छा हो या बुरा हो ,
नाम जुबां पे ही नहीं , ज़मीर में भी आपका होता है ।
आपकी वजह से ही तो मजबूत हूं मैं ।
जगह कोई भी हो , माहौल कोई भी हो ,
आपके पास हूं तो मेहफूज हूं मैं ।
आपके हर बलिदान का हिसाब रखती हूँ मैं ,
ताकि कल सबका हक अदा कर सकूं मैं ।
आपके दर्द को मैं भी देखती हूं ,
सामने ना सही पर छुपके ही ,
आपके मेहफूज रहने की दुआ करती हूँ मैं ।
खुदसे ज्यादा आपको मजबूत देखना चाहती हूँ मैं ।
खुदसे ज्यादा आपको खुश देखना चाहती हॅूं मैं ।
आपको दुनिया की सारी तकलीफों के साये से दूर रखना चाहती हूँ मैं ।
इतनी मेहनत के बाद दुनिया के सारे आराम आपके नाम करना चाहती हूँ मैं ।
अच्छा करुं या बुरा करूं ,
क्या सोचोगे आप मेरे बारे में ,
उसके बाद , सोचती हूँ मैं ।
मेहनत मेरी , और हौसला आप बढ़ाओ चाहती हूँ मैं ।
शोक आपके , और पूरे मैं करूं चाहती हू मैं ।
जो भी करती हूँ , आपका सर ऊँचा करने की कोशिश में करती हूँ मैं ।
गर्व से आप कहो , कि आपकी बेटी हूँ मैं यही तो चाहती हूँ मैं ।
नाम आप मेरा ही लो जब किसी भी चीज की जरूरत हो , इस काबिल बनना चाहता हूँ मैं ।
जितना मैं करती हूँ ,
उससे ज्यादा लोग आपकी इज्ज़त करें चाहती हूँ मैं ।
दिन वो जब दुनिया आपको मेरे पिता के तौर पर जाने , और आप गर्व से मुस्कुराओ , देखना चाहती हूँ मैं ।
भले ही कभी कहती नहीं ,
पर आपको बहुत मानती हूँ मैं ।
आपकी बेटी की नहीं , आपके बेटे की जगह लेना चाहती हूँ मैं ।
आपके सारे अच्छे बुरे दिन में ,
आपके साथ रहना चाहती हूँ मैं ।
खुशनसीब हूँ आपको पाकर मैं ।
आप भी खुशनसीब कहो कभी खुद को ,
मेरी वजह से चाहती हूँ मैं ।
इल्जाम दुनिया भर के ,
पर भरोसा आपका चाहती हूँ मैं ।
अपनी सारी काबिलियत के पीछे ,
नाम आपका चाहती हूँ मैं।
तकदीर मेरी ,
और लिखो आप चाहती हूँ मैं।
क्योंकि,
मेहफूज आप रखते हो ,
मेहनत आप समझते हो ,
खुशियों की दुआ आप करते है ,
जिस तिनके का सहारा मिले , उसकी डाल आप बनते हो ,
गलतियों का सुधार आप करते हो ,
हौसला आप बढ़ाते हो ,
उम्मीद आप रखते हो ।
आपकी परछाईयों से ,
इसीलिए घिरी हुईं मैं।
आप में यूँ ही नहीं रमी हुईं हूँ मैं ।
-कशिश भारती
लेक्स इंटरनेशनल स्कूल ,
भीमताल , नैनीताल ।