परिवार के सेतु, मेरे रक्षा-स्तंभ,
वो साधारण व्यक्ति मेरे पिता हैं।
मेरी मां के परम मित्र, परिवार के वीर योद्धा,
वो साधारण व्यक्ति मेरे पिता हैं।
प्रतिद्वंद्वी भंवर से निकलकर, उंचा परचम फैलाए जो,
वो साधारण व्यक्ति मेरे पिता हैं।
स्थिर गहन-गंभीर कुआं, जिसका जल सबसे मीठा ,
वो साधारण व्यक्ति मेरे पिता हैं।
तूफानों में अडिग कल्पतरू, लौह से बनी जिसकी जड़ें,
वो साधारण व्यक्ति मेरे पिता हैं।
मेरी उर्जा के स्रोत, एक बेमिसाल व्यक्तित्व,
और कोई नहीं, वो असाधारण व्यक्ति
मेरे पिता हैं।
-अयोन समद्वार, आर्यमन विक्रम बिड़ला स्कूल हल्द्वानी