June 09, 2020 3Comments

जब मैं था एक छोटा बच्चा

जब मैं था एक छोटा बच्चा,
अक्ल नहीं थी मुझमें आई।
तब वो बने मेरा सहारा,
मेरे पिता, मेरी परछाईं।

उन्हीं ने शब्द ज्ञान सिखाया,
उन्हीं ने सही राह दिखाई।
हर मुश्किल में मेरे साथ रहे,
मेरे पिता, मेरी परछाईं।

अपने सपने त्याग कर,
मुझमें सपनों की आस जगाई।
हर सपना साकार किया,
मेरे पिता, मेरी परछाईं।

-चंद्रेश पांडे, हरमन माइनर स्कूल भीमताल

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gtripathi

3 comments

  1. Beautiful poem.

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  2. Very good …. Keep it up…

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  3. Very nice poem.

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