चेहरे पर थकान व हाथों में सामान लिए
पर घर वापस आते है होठों पर मुस्कान लिए
जो काम के चक्कर में खाना भी भूल जाते हैं, वो मेरे पापा हैं।
मम्मी और मेरी शौपिंग हमेशा जारी रहती है
पर पापा की सालों तक वही अलमारी रहती है
जो अपने लिए कभी कुछ नहीं खरीदते वो मेरे पापा हैं।
पारा जिनका ज्यादातर गरम रहता है
स्वभाव सबके लिए सख्त, पर मेरे लिए नरम रहता है
जो मुझसे कभी ऊँची आवाज़ में बात नही करते वो मेरे पापा हैं।
हाँ, कभी कभी सबज़ी गलत ले आते हैं
नीली पेन मंगाओ तो काली ले आते हैं
पर जिनके बिना हमारी कल्पना अधूरी है, वो मेरे पापा है।
सर्दी हो या गरमी जो रोज़ सैर पर निकलते हैं
नियमों के पक्के, हमेशा उन पर चलते हैं
पर मेरे लिए जो अपने नियम तोड़ने को तैयार हैं, वो मेरे पापा है।
हाँ उन्हें बोलकर प्यार जताना नहीं आता
पर मेरी किसी बात को टालना नहीं आता
जो अपना प्यार मेरी हर बात मानकर दिखाते है, वो मेरे पापा है।
मम्मी के डाँटने पर जो मम्मी को ही डाँटते है
मैं समझा दूंगा कहकर हमेशा बात टालते है
मुझे डाट से बचाने की जिनकी पूरी कोशिश रहती है, वो मेरे पापा है
पापा के साथ मिलकर मम्मी को खूब चिड़ाया है
तभी मम्मी ने मुझे पापा की चम्ची बुलाया है
मेरे हर काम में जिनकी परछाई है, वो मेरे पापा है
मुझसे ज्यादा जिन्हें मुझ पर भरोसा है
मेरी हर जीत पर जिन्हे मुझसे ज़्यादा गर्व होता है
जिनके प्यार के आगे फीके तख़्त-ओ-ताज है
जिन्हें मेरी हर बात पर नाज़ है
जिसने गंभीरता के पीछे अपना दुख ढ़का है
जिसने हमेशा खुद से ऊपर मुझे रखा है
वो मेरे पापा है।
– हंसिका रौतेला, भीमताल