लाया है संदेश फाल्गुन सुहाना,
अनपूरे सपनों को प्रिये भूल जाना।
– सुमधुर मिलन लेके आता है ये दिन,
स्वागत मे रखना ,अबीर और चंदन,
इस पावन वेला मे वेसुध न रहना,
धूंधट मे धुट धुट के आहें न भरना।
हँसती उमंगों का दिल ना दुखाना,
अनपूरे सपनों को प्रिये भूल जाना
लाया है………….
रंग देगा कोई गुलालों से चेहरा,
कंचन वदन,होगा बाहों का पेहरा,
भीगेगी रंगों से चूनर चोली,
तब तुमको आ जाए याद वो होली,
तो खुश़ियों के पलने मे मन को झुलाना,
अनपूरे सपनों को प्रिये भूल जाना।
लाया है……..
मैं तो निराशा की करुण कथा हूं,
घायल उम्मीदों की तरुण व्यथा हूं,
टूटे हुए नींड़ का हूं मै तिनका,
बस गिरता आँसु हूं,विरहा नयन का,
दर्दीले गीतों का ,मै हूं तराना,
अनपूरे सपनों को प्रिये भूल जाना।
लाया है संदेश फाल्गुन सुहाना,
अनपूरे सपनों को प्रिये भूल जाना।
-कन्हैया लाल स्नेही, हल्द्वानी, नैनीताल।
February 16, 2018
Nice poem