February 09, 2018 1Comment

बूढी माँ की होली

होली की ठिठोली में कुछ याद दिखाई देती है

बच्चो से दूर होकर माँ ना जाने कितना रोती है

आया है रंगो का मौसम तू छुट्टी लेकर आ जाना

बेटा, पोते, बहु की सुन घर में आवाज सुनाई देती है

 

होली आयी रंग है लायी झूला मैंने सजाया है

दादी का मनमोहरहा गुड्डा घर जो आया है

सुनी गोद बेटा तेरे बाबा की अब तो लौट आना तू

तेरे परदेश की नौकरी इन रंगो को बहुत रुलाया है

 

इस होली में पिचकारी, मट्ठी, गुजियो की महक सी है बेटा

बहु के हाथो से बूढ़े बालो को रंगने की आस सी है बेटा

इस होली आकर माँ के आंचल को सतरंगी साकर देना

इस होली बेटा घर आकर मेरी झोली खुसियो से भर देना

 

तेरा पत्र मिला, बाबा ने पढ़ा मिलकर दोनों रोये है

होली में आने का पढ़ा घर के हर कोने खुश होये है

गुलाल, रंग, बाबा पोते को अपने कांधों पर चढ़ाएँगे

उसके प्यारे गालो को अपने हाथो से रंग जायेंगे

मैं आस बिछाये बैठी हु मेरी होली के रंग घर कब आएंगे ………

-रामवीर सिंह, हरिद्वार

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1 comments

  1. बहुत खूब

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