शहीद ए आजम*
फंदा फांसी का जिसने चूम के गले लगाया था।
अंधे बहरे शासन को विस्फोट करके जगाया था।
अपनी भरी जवानी में प्राणों को आहुत करके
बसंती चोला रंगा वो शहीद भगत सिंह कहाया था।
आजादी थी जिसकी दुल्हन, राष्ट्र को समर्पित तन मन।
रग रग में देश भक्ति का जुनून भरा हुआ
नन्हें हाथों में थी शक्ति सत्ता को उखाड़ने की
बंदूकों की खेती मासूमियत से करता था
क्रान्ति का बिगुल बजाके इंन्कलाब मंत्र लेके
फांसी के फंदे पे हंसते हंसते वीर झूला था।
दौर था वो दूसरा और दिक्कतें भी दूसरी थीं
राष्ट्र को जकड़ने आज नयी बेड़ियाँ।
करती हूँ आह्वान आज के युवाओं से मैं
उठो और जगाओ अपने भीतर के भगत को तुम।
स्वीकार लो वर्तमान परिवेश चुनौतियां।
अधिकार मिले अब कर्तव्यों का बोध करो
साथ बढ़ो और करो निर्माण नव राष्ट्र का।
– श्रद्धा जोशी, कक्षा – 12
गेल डीएवी पब्लिक स्कूल गेल गांव दिबियापुर औरेया उ प्र
January 10, 2018
bahut khoob shubhkamnayen bitiya ko.
January 11, 2018
Congratulations to budding poet . Shradha you are really an Inspiration to young and talented Students. God bless you!
January 11, 2018
अद्भुत ग़ज़ब उम्दा व्वाह