शीश माँ भारती को चढ़ायेंगे हम
हर लहू जिस्म का तो यही कह रहा
हाथ में अब तिरंगा उठायेंगे हम
आन से, बान से, शान से, हर दफा
हिन्द का ही यशोगान गायेंगे हम
जाति को, धर्म को छोड़कर इक नये
रंग में इस धरा को सजायेंगे हम
“अश्क़” अब तो कलम भी यही लिख रही
एक खुशहाल भारत बनायेंगे हम
-विपिन कुमार “अश्क़”
कोटद्वार (उत्तराखंड)