February 25, 2018 0Comment

होली का श्रृंगार ठिठोली

हास्य व्यंग की अद्भुत पाठशाला है होली
ठिठोली का पुख्ता आलम हमजोली
शबनम कहती भीगत हैं गात ना सताइये
ये रंगो-बरसात ना लाइये
बसंती जामुनी गेहुऐं रंग भरकर
हरित श्यामा अंगूर चासनी लेकर
बांसुरी की धुन,थामे राग के घेवर
कोपलों के छा गये हैं साख पर जेवर।
सालती है रात, मत जगाइये
सकुचाती है गात मत सताइये
है सबनम की फरियाद होस लाइये
हास्य व्यंग की अद्भुत पाठशाला है होलीँ
ठिठोली का  पुख्ता आलम  हमजोली।
हास -परिहास चले नहीं यदि होली में
फिर होली का क्या मतलब है होली में
नशा -नशा सा तैर रहा है झौंकौं में
अबीर-गुलाल  की करतब  इन मौकौं में
हास्य व्यंग की अद्भुत पाठशाला है  होली।
मोहन चन्द्र जोशी  “मोहंदा” 
लाल्कूं(नैन्ताल) 262402.
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