June 11, 2020 0Comment

सुन रहे हो ना मेरे पापा

पापा ने ही उंगली पकड़कर
चलना सिखाया,
सच और झूठ का फर्क बताया
शब्द पहला निकला मेरे मुख से पापा
सुन रहे हो ना मेरे पापा,
काम हमारा आधी रात को भी करते हैं,
यह उनके उपर कविता है जिनके
उपर हम मरते हैं।
जो मांगा पल में वह है पाया
वह गुड़िया लादो,
कार-स्कूटर एक मेरे खिलौने का
कमरा ही सजा दो
पापा है तो मम्मी का चूड़ी सिंदूर है।
पापा हैं तो गुड्डे गुड़िया
खिलौनों का ढेर है।

-ज्योती चुफाल, ईलाइट पब्लिक स्कूल गौलापार

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