सत़युग में श्री हरि विष्णु, त्रेता में श्री राम।
द्वापर में श्री कृष्णा कन्हैया, कलियुग में श्री श्याम।
बोला भाई राम-राम, होली हो रही जैसे की बृजधाम।।
काशी में खेले भोला शंकर, अयोध्या में खेले राम।
बृज के धाम में कुंवर कन्हैया,खाटू में श्री श्याम।।
पार्वती संग भोला शंकर,सीता संग श्री राम।
राधा संग में कुंवर कन्हैया, भक्तों संग श्री श्याम।।
ब्रम्हा जी खेले, विष्णु जी खेले, खेले संग महेश।
रिद्धि-सिद्धि संग होली खेले,पार्वती के गणेश।।
ब्रम्हा संग में माता सरस्वती,गौरा संग में महेश।
विष्णु संग लक्ष्मी जी खेले, क्षीरसागर में शेष।।
गौरव त्रिपाठी जी होली खेले, छोड़ के सारा काम।
हरफनमौला के संरक्षक मंडल, होली में करते धूम-धड़ाम।।
जै हो देवभूमि उत्तराखंड को, कोटि-कोटि प्रणाम।
खड़ी-बैठकी होली होती, जहां शहर-शहर हर ग्राम।।
हरफनमौला साहित्यिक संस्था के,कवि मचा रहे कोहराम।
धन्य हो गया धरा यहां का, धन्य हो गया धाम।।
बोला भाई राम-राम, होली हो रही जैसे की बृजधाम।।
– अशोक कुमार मिश्रा, सेंचुरी पल्प एंड पेपर घनश्याम
लालकुआं नैनीताल, उत्तराखंड।