सच्चे हीरो हैं मेरे पापा
लाखों हीरों हैं टीवी में देखे
पर उनसे कोई न देखे।
जीवन में सच्चे हीरो मेरे पापा में बसता
मेरा स्वाभिमान उन्हीं से बढ़ता
मां ने संस्कार से है संजोया,
पिता ने है पैरों पर चलना सिखाया।
पैसे जेब में न हो उनके चाहे,
घर अपना हमेशा खुशियों में सजाए,
छोटा-बड़ा कुछ न उन्होंने देखा,
हर काम है उन्होंने अपनाया
बच्चोें की एक मुस्कान के लिए उन्होंने,
उनकी हर ख्वाहिशों को पूरा किया उन्होंने,
सच्चे हीरो है मेरे पापा।
पिता से ही घर का वर्चस्व है,
उन्हीं से ही तो हमारा गर्व है।
उन्हीं से तो है पहचान हमारी,
वहीं तो है शान हमारी।
धूप में पापा छायादार पेड़ बन जाते हैं,
मुश्किलों में हमारे साथ हर दम खड़े वो रहते हैं,
हर एक गम अपना छुपाते हैं,
हर किसी की मिसाल वो बन जाते हैं,
हाल जब उनका पूछो तो लाखों बहाने वो बनाते हैं,
खुद मुश्किलों में क्यों न हों ?
वो हमको हर काबिल बनाते हैं,
अंधेरे से डर लगता है तो खुद रोशनी बन जाते हैं,
हर पल हमारी ढाल बन जाते हैं,
खुद सफल हों न हों हमको वो सफल बनाते हैं,
पापा ही तो सच्चे हीरो कहलाते हैं।
-उज्ज्वलिता टम्टा, भवाली नैनीताल