April 09, 2018 0Comment

शब्द

शब्द बना भावों का माघ्यम
अर्थ घनेरे होते हरदम
शब्दों की है अपनी महिमा
और रूप निखरता चंदा सम
इतिहास सदा ये रचते हरदम
बीती बातें कहते संग हम
अपने रूप को कभी न खोते
इनके अर्थों में है इतना दम
पर कुछ शब्द मन घायल करते
बस दिल तोडे़ करे आँखें नम
शब्दों का दुरूपयोग न करते
न होते महाभारत संग्राम
कितने कटुवचन निर्मम
तार-तार करे प्यार भरा मन
शब्दजाल का है कैसा खेल
अनजाने संग हो दिल का मेल
शब्दों का भ्रमजाल न होता
प्रेम प्रसंग में विवाद न होता
जो शब्दों का प्रयोग जाने
व्यक्तित्व उसका ज्ञान बखाने
एक भंडार बन गया निराला
है धन्य शब्दकोश को रचने वाला
हो कटु वचन का प्रयोग कम
फिर कर दे फसाद की जड़ खत्म
शब्द आशा को नित्य निराला
मन भरे आनंद हरे सब गम
शब्द बना भावों का माध्यम
अर्थ घनेरे होते हरदम…….
-आशा वाजपेयी
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