वो सूरत बिन भावो की
वो मूरत थोड़ी सख्त है
मै छोटी सी देवी हू उनके घर की
वो इस देवी के भक्त है
बचपन से लेकर अभी तक
अपनी ये उंगली आपने मुझे थमाई है
पर बड़ी हो गई हू ना तो हर वक्त भूल जाती हू
कि जब जब आपका साथ है छूठा तब तब आपकी ये बेटी लड़खड़ाई है
जब टूट सी गई थी तब होसला गिर गया था मेरे होसले को आपने ही तो बडाया है
आज कह रही हू जो आज तक कह नही पायी आपसे
आप ही मेरी जिंदगी हो ओर इसे जीना आपही ने सिखाया है
-ममता परगाई