कभी न खतरों से वह डरते,
हर जंग वह खुशी-खुशी हैं लड़ते।
अपनी परवाह किए बिना,
दूसरों को नई जिंदगी वह देते।
वह हमारे डाॅक्टर कहलाते,
भगवान का रूप वह कहलाते,
कुछ हुआ तो बड़ी उम्मीद से उनके पास हैं आते,
अपनी पूरी मेहनत से लोगों को नई जिंदगी देते,
वह हमारे डाॅक्टर कहलाते।
उनके लिए सब होते बराबर,
बच्चे हो या बड़े बुजुर्ग,
सबका वह इलाज हैं करते,
वह हमारे डाॅक्टर कहलाते।
रात हो या दिन कुछ नहीं वह देखते,
हर वक्त वह इलाज हैं करते,
दंगा फसाद हो या कोई दुर्घटना,
बीमारी हो या सर्दी जुकाम,
हर वक्त करते इनका इलाज,
वह हमारे डाॅक्टर कहलाते।
आओ हम सब मिलकर करें इनका सम्मान,
जो कोरोना जैसी बीमारी में बने हैं हमारे भगवान,
इनका भी तो है घर-परिवार।
-बिपाशा पौड़ियाल, बीएलएम एकेडमी हल्द्वानी
July 5, 2020
Superb
July 5, 2020
अति उत्तम बिपाशा।
July 5, 2020
Wonderful poem Bipasha
July 5, 2020
A real tribute to doctors….God bless you beta
July 5, 2020
super se bhi upper
July 5, 2020
Fantastic… God bless you