मेघ मेघ काले काले, यहां वहां जाने वाले
बादल रूठिए मत, यहां भी तो आइए
कोई बैठा आस में है, कोई बैठा त्रास में है
घुमड़ घुमड़ कर, प्यास ही बुझाइए
सावन भी सूखे सूखे, नदी नाले सारे रूठे
नैन में बचा न पानी, नैन न भिगाइए
खेत में लगी फसल, इंद्रदेव दो दखल
माटी भी प्यासी है, उपाय बताइए ।।१।।
पेड़ दो लगाओ तुम, एसी ना चलाओ तुम
बिना किसी बात के ना, गाडियां भगाइए
पानी को बचाओ तुम, व्यर्थ ना बहाओ तुम
जंगलों को धधकती, आगो से बचाइए
पन्नी का प्रयोग बंद, जीवो को करो ना तंग
जीवनशैली में थोड़ा, बदलाव लाइए
प्रदूषण करो कम, चलो जाओ करो कर्म
फिर कहना पृथ्वी से, वर्षा करवाइए ।।२।।
-रामवीर गंगवार, haridwar