छोटी सी मुश्किल आने पर भी,
मैं रो जाती हूँ।
उन मुश्किलों से बचने को,
डरकर छुप जाती हूँ,
उन मुश्किलों का सामना कर,
मेरे पिता ने मुझे बचाया है,
बिना डरे, मुसीबतों से लड़ना,
मेरे पिता ने मुझे सिखाया है।।
धन से श्रेष्ठ कुछ नहीं,
मैं हमेशा समाज से सुनती हूँ,
धन ही सब कुछ है,
मैं उस समय यही समझ बैठती हूँ,
दूसरे की इज्जत का पाठ,
मेरे पिता ने मुझे पढ़ाया है,
इज्जत ही सब कुछ है,
मेरे पिता ने मुझे ये मुझे सिखाया है।
बांटने से प्यार बढ़ता है,
ऐसा सुना है मैंने,
पर जब बांटने की बारी आती है,
तब मैं चिढ़ जाती हूँ,
जितना बाँटोगे उतना बढ़ती हैं खुशियां,
सुख और दुख को बांटना,
मेरे पिता ने बताया है मुझे,
जब जब अकेली होती हूँ,
तब पिता ने सहारा दिलाया है मुझे,
जिंदगी के हर मोड़ पर मेरे पिता ने,
कुछ ना कुछ सिखाया है मुझे…………
-कीर्ति बिष्ट
भीमताल