मेरे पापा बहुत अच्छे
हैं मन के वे सच्चे
वे सबको लगते अच्छे
बच्चों में बन जाते बच्चे
वे सबको बनाते अच्छे
हमसे काम कराते सच्चे
वे कभी न बोलते झूठ हैं वे बहुत अच्छे
जानवरों को वे खाना देते मन से अपने सच्चे
जहां-जहां जाते लगते वे बहुत अच्छे
हम उनको देखकर बनते हैं सच्चे
मेरी छत्रछाया है वे और हैं अच्छे।
-पीयूष फुलोरिया, बियरशिवा स्कूल चैखुटिया