April 25, 2018 1Comment

मेरी मां

मैं इतनी अच्छी तो नहीं पर
करोड़ों में एक है मेरी मां,
मेरी गलतियों की फीकी चाय
को पीने वाली है मेरी मां
मेरी कमियों के बिखरे रंगों को
इंद्रधनुष कहने वाली है मेरी मां
मेरी नाकामियों के धुएं को
हौसलों के अंगार में बदलने वाली है मेरी मां,
मेरे आंसुओं के नमकीन पानी को
अपने होठों से पीने वाली है मेरी मां,
जब मेरे साए ने भी छोड़ दिया था साथ मेरा
तब अपने कलेजे से लगाने वाली है मेरी मां,
इस बहरे जहां की भीड़ में मेरी बेजुबां
सिसकियां सुनने वाली है मेरी मां,
रूई सा कोमल हृदय लिए और पानी से भी
ज्यादा निर्मल है मेरी मां,
हाथों में स्वाद लिए साक्षात अन्नपूर्णा
का स्वरूप है मेरी मां।
-रोशनी पराशर, हल्द्वानी

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gtripathi

1 comments

  1. Heart warming, truly said.

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