June 08, 2020 0Comment

मेरी पहचान मेरे पिता से है

मेरी ताकत, मेरा सम्मान, मेरी पहचान
मेरे पिता से है।
मुझे खुद पर अभिमान,
मेरे पिता से है।
उंगली पकड़कर,
मुझे चलना सिखाया।
खुद कांटों पर चलकर,
मुझे फूलों का रास्ता दिखाया।
मेरे जीवन को उन्होंने,
अपने प्यार से महकाया।
अपने अंदर हजारों दुखों को समेटकर,
मुझे एक सुनहरा भविष्य दिखाया।
अपनी जरूरतों को नजरअंदाज कर
मेरी हर एक इच्छा को पूरा कर दिखाया।
नारियल से कठोर दिखने वाले मेरे पिता को,
अंदर से मैंने रूई सा कोमल पाया।
खुद उन्होंने दुखों को सहकर,
मुझे आगे बढ़ाया।
उनके जीवन के कई कष्टों के बावजूद,
मैंने उन्हें सदा हंसता पाया।

-गीतिका जोशी, केवीएम पब्लिक स्कूल हल्द्वानी

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