मुहब्बत दो दिलों की भावनाओं की कहानी है
इधर मैं भी दिवाना हूँ उधर तू भी दिवानी है
जमाना तो भले कहता रहे कुछ भी हमें लेकिन
ये कविता तो ते’रे मेरे मुहब्बत की निशानी है
गुलों से इक नयी खुशबू हवाओं में महकती है
तुम्हारी याद में दिल से मे’रे कविता निकलती है
जवा दिल है जवा धड़कन मगर भी मुहब्बत में
इधर मैं भी तड़पता हूँ उधर तू भी तड़पती है
मुहब्बत का मुझे भी इक घना बादल बना डाला
तुम्हारी झील सी दो आंख का काजल बना डाला
भले दुनियां मुझे कुछ भी कहे कहती रहे लेकिन
तुम्हारे प्यार ने मुझको सनम पागल बना डाला
कलम ने भी ते’रा दीदार कागज पर कराया है
मुहब्बत ने मुझे दिल में तुम्हारे अब बसाया है
नया अन्दाज़ लेकर के नया सा रूप देकर के
तुम्हें हर रोज़ मैंने शायरी में आजमाया है
– विपिन कुमार “अश्क़”
November 9, 2017
बहुत खूब विपिन जी
November 10, 2017
आभार ढाली जी