मां जीवनदाता है, पिता संघर्षकर्ता है,
मां दुनिया में लाई, पिता ने दुनिया दिखाई।
उनके आदर्श है, उनके संस्कार है,
बिन पिता के तो जीवन ये बेकार है।
संघर्ष करके पसीना बहाया,
प्यार से एक निवाला बच्चों को खिलाया।
शिखर तक पहुंचने में, सफलता पिता ने दिलाई,
अपने सपनों को भूलकर,
दुनिया हमारी रंगीन बनाई।
जन्म दिया मां ने, पहचान पिता ने दिलाई,
कभी अभिमान तो कभी स्वाभिमान है पिता।
कभी धरती तो कभी आसमान है पिता।
बच्चों के रूठ जाने पर बच्चों के लिए,
खुद बच्चा बनकर घोड़ा या गाड़ी बनाई।
भूल न जाना पिता का समर्पण,
समर्पण हमें सीख देता है।
पिता जैसा कोई नहीं,
श्रेष्ठ में भी जो सर्वश्रेष्ठ होता है।
-प्रियंका बिष्ट, कालाढूंगी