June 10, 2020 0Comment

मन के सुमधुर गीतों की हो पिता झनकार तुम

ह्रदय स्पन्दन में तुम
साँसों की आवाज तुम
मन के सुमधुर गीतों की
हो पिता झनकार तुम।।

राह , प्रकाश पुँञ्ज तुम
रीढ़ तुम स्तम्भ तुम
तपित शिलाओं के बीच
हो पिता शीत बौछार तुम।।

भविष्य के सरताज तुम
शान तुम जहान तुम
डूबती नैय्या के
हो पिता पतवार तुम।।

रूह में घुली मिठास तुम
हर बात तुम जज्बात तुम
जीवन के अनमोल सफर के
हो पिता मददगार तुम।।

इश्क पहला मेरा तुम
अभिमान तुम जान तुम
मेरे हर सम्मान के
हो पिता हकदार तुम।।

अश्रुओं की आश तुम
अरमानों की प्यास तुम
वजूद के घरौंदे की
हो पिता दीवार तुम।।

कभी पहाड़ तुम
मन से मृदुल स्वभाव तुम
खट्टे -मीठे अनुभवों की
हो पिता आधार तुम।।

इस जहाँ में छाँव तुम
हो मेरी परछाई तुम
माँ जननी तो
हो पिता पालनहार तुम।।

-सोनू उप्रेती “साँची”
अल्मोड़ा

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