October 24, 2017 4Comments

भूख बड़ी या सैंसेक्स

तेल के महंगे होने पर

भूखे बच्चों के रोने पर

पत्नी का सोया क्रोध भड़का

पति से बोली-

काहे का लगाऊं तड़का

पति ने दिमाग चलाया

और समस्या का हल सुझाया

गर्म कढ़ाई में पानी डाल भागवान

उसी को सच्चा तड़का मान

भागवान सुन पत्नी बौखलाई

पति को लाल लाल आँखें दिखाई

गैस महंगी है आग कहां

भागवान जैसे मेरे भाग कहां

पति बोला-

हैं लाल अँगीठी जैसी दो दो आँख तुम्हारी

फिर कैसी गैस की लाचारी

पत्नी बोली भरकर ठंडी आह

नल पर पानी नहीं बीता पूरा माह

पति बोला-

तुम धधकाओ गुस्से की ज्वाला

नैन मेरे बरसायेंगे पानी का नाला

ये तो ठीक है लग गया मानो तड़का

फिर भी बांकी है और एक खटका

राशन पर गेहूँ नहीं चावल नहीं नसीब

क्या खिलाऊं बच्चों को समस्या है अजीब

तब तो एक ही चारा है

रोटी की आदत छुड़ाओ

शाहरुख ,मित्तल , अँबानी के

बँग्लों के चित्र दिखाकर मन बहलाओ

और सैंसेक्स का उतार चढ़ाव

पढ़ना सिखलाओ

प्रगतिशील है देश हमारा

बच्चों को ये समझाओ.

-तारा पाठक, हल्द्वानी

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gtripathi

4 comments

  1. Very well written. Before talking about economic development, basic needs of the people has to be fulfilled.

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  2. वाह हास्य के भीतर देश की परिस्थितियां छुपी है

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  3. जिंदाबाद मैम

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  4. Ha ha ha बहुत अच्छे

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