तेल के महंगे होने पर
भूखे बच्चों के रोने पर
पत्नी का सोया क्रोध भड़का
पति से बोली-
काहे का लगाऊं तड़का
पति ने दिमाग चलाया
और समस्या का हल सुझाया
गर्म कढ़ाई में पानी डाल भागवान
उसी को सच्चा तड़का मान
भागवान सुन पत्नी बौखलाई
पति को लाल लाल आँखें दिखाई
गैस महंगी है आग कहां
भागवान जैसे मेरे भाग कहां
पति बोला-
हैं लाल अँगीठी जैसी दो दो आँख तुम्हारी
फिर कैसी गैस की लाचारी
पत्नी बोली भरकर ठंडी आह
नल पर पानी नहीं बीता पूरा माह
पति बोला-
तुम धधकाओ गुस्से की ज्वाला
नैन मेरे बरसायेंगे पानी का नाला
ये तो ठीक है लग गया मानो तड़का
फिर भी बांकी है और एक खटका
राशन पर गेहूँ नहीं चावल नहीं नसीब
क्या खिलाऊं बच्चों को समस्या है अजीब
तब तो एक ही चारा है
रोटी की आदत छुड़ाओ
शाहरुख ,मित्तल , अँबानी के
बँग्लों के चित्र दिखाकर मन बहलाओ
और सैंसेक्स का उतार चढ़ाव
पढ़ना सिखलाओ
प्रगतिशील है देश हमारा
बच्चों को ये समझाओ.
-तारा पाठक, हल्द्वानी
October 25, 2017
Very well written. Before talking about economic development, basic needs of the people has to be fulfilled.
October 25, 2017
वाह हास्य के भीतर देश की परिस्थितियां छुपी है
October 25, 2017
जिंदाबाद मैम
October 25, 2017
Ha ha ha बहुत अच्छे