July 02, 2019 6Comments

बरसे मेघ धरा पर ऐसे

बरसे मेघ धरा पर ऐसे ,
जैसे झूमे तुम और मैं ।
बूँद ने चूमा धरती को ऐसे,
जैसे चूमे तुम और मैं ।

किसी बूँद ने सागर देखा,
किसी बूँद ने प्यासे को।
किसी बूँद ने आकर देखा,
तेरे आँखों के काजल को।

बिजली कड़क रही है देखो, आओ झूमे तुम और मैं।
पहली बरखा पहली मोहब्बत ,
आओ भीगे तुम और मैं।

जैसे गरजते हो तुम बादल
वैसे गरजती वो भी है।
जैसे बरसते हो तुम बादल,
वैसे बरसती वो भी है।
आओ झूमे धूम मचाए मस्ती मैं गाये तुम और मैं ।
जैसे लिपटे बादल हैं वैसे ही लिपटे तुम और मैं।

तुम आयी मेरे जीवन मैं,
खुशियों की सौगात हुयी।
तुम आई तो भौरों की,
फूलों संग आंखें चार हुयी।
आओ आंख मिचोली खेले ,
प्यार निभाए तुम और मैं।
आओ बरसे धरती पर,
इसे स्वर्ग बनाये तुम और मैं।।

दिपांशु कुँवर, haldwani

Social Share

gtripathi

6 comments

  1. Kya bat hai kuwar ji bahut achhi poem likho hai

    Reply
    1. बहुत बहुत धन्यवाद

      Reply
  2. Very good going brother….. Keep it up

    Reply
    1. धन्यवाद

      Reply
  3. Behad khoobsurat kavita or alfaaz

    Reply
    1. बहुत बहुत धन्यवाद

      Reply

Write a Reply or Comment