June 05, 2018 1Comment

बड़ा हंसी ख्वाब है

बड़ हंसी ख्वाब है धरती और गगन का|
सुना है गहन प्रेम है दोनों के बीच का |
धरा तडप रही यहाँ, गगन निभा रहा वहाँ |
फासलों से कब कहाँ, बदला प्रेमी है यहाँ |
धैर्य सी तू रूपसी, नभ विशाल है बड़ा |
भू के प्रेमजाल में, अम्बर डूबता चला |
बेचैनी देख धरा की, व्योम तो मचल उठा |
तेरे तपन की आग से, आह गगन बरस उठा |
दूर से ही सही , गगन धरा को छू गया |
इस निराली रीत में, अम्बर मगन हो गया |
तेरी तडप से धरा, अनदीन गगन न रहा |
इसी कसक को देखकर, दिल मचल मचल गया |
तकरार तो कभी नही, गिला के जगह नहीं |
वो मुझ में खो गई, मैं भी उसका हो गया |
इक हंसी ख्वाब जो, दोनों के बीच बुन गया |
आशा कहे भू गगन,  प्रेम अमर हो गया |
**आशा वाजपेयी**
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gtripathi

1 comments

  1. Yu to varsho purani h aasma or Jami k prem ki kahani, par apne is Kavita k madhyam se unke prem ko jivant Kar Diya h. Ye ek behtareen Kavita h

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