मेरे पिता मेरी पहचान हैं,
जिन्होंने दिया मुझको अपना नाम हैं।
पिता से बढ़कर दुनिया में कोई ना महान हैं।
पिता है तो रोटी,कपड़ा,मकान हैं,
बिना उसके रहना दुनिया में ना आसान हैं।
ऊँगली पकड़कर चलना जिसने सिखाया है
वह पिता ही हैं जिसने मुझे मेरा मार्गदर्शन करवाया हैं।
मेरे सारे दुखो और कष्टों का करते वो समाधान हैं,
पिता से बढ़कर दुनिया में कोई ना महान हैं।
बिना पिता के चलना जीवन में आसान नहीं है,
क्यूंकि पिता ही वह भगवान है जो करता मेरा मार्गदर्शन आसान हैं।
पिता से बढ़कर दुनिया में कोई ना महान हैं,
जिनके एक ईशारे पर दुनिया मेरे लिये कुर्बान हैं।
मेरी सारी खुशियो का करते वो सम्मान हैं,
वास्तव में पिता से बढ़कर दुनिया में कोई न महान हैं।
मेरे खुश होने पर वो खुश हो जाते हैं,
मेरे रूठने पर वह भी रूठ जाते है।
मेरे खाना ना खाने पर भी वह मुझे बार बार खिलाते हैं,
एसे मनुष्य को भगवान ने पिता बनाया है।
पिता ही मेरा मान है पिता ही मेरा सम्मान है
वास्तव में पिता से बढ़कर दुनिया में कोई न महान हैं।
-मनीष पाठक, हल्द्वानी
June 2, 2020
Mera bhai♥️♥️
June 2, 2020
Awsm Mera bhaii
June 2, 2020
Fabulous
June 2, 2020
Mera bhai♥️
June 2, 2020
Wah mere bhai…chaa gya tu toh
June 2, 2020
Bdiya mere bhai
June 2, 2020
❤️❤️
June 3, 2020
Nice poem brother ji