जन्म दिया मां ने तो पिता ने जिंदगी है बनाई,
आंचल में मां ने छुपाया तो पिता ने राह है दिखाई,
कड़ी धूप, बारिश, कठिनाई फिर भी हमारे लिए रोटी है कमाई,
मेरे देवता, मेरे मित्र, मेरे पिता, मेरी परछाई…
दुखों के समंदर में मेरा किनारा पिता है,
मेरी टूटती मझदार का इकलौता सहारा पिता है,
दुनिया में लाखों लोग – रिश्ते देखे मैंने,
पर उन सब में सबसे प्यारा पिता है,
जिम्मेदारियों का बोझ लिए कैसे वो मुस्कुराते है?,
सिर्फ मेरे सुकून के लिए कैसे सपने अपने ठुकराते है?,
मुझे खुश रखने के लिए क्यों हर बार वो मुझसे हार जाते है?,
मेरे जहन में प्रश्नों कि श्रृंखला भरी हुई है,
मुझे काटों से बचाने को कैसे काटें गले लगाते है?….
हाथों की लकीरों को क्यों देखू? , पिता ने मेरे जीवन की नींव जो है बनाई,
सपने मेरे पर रात भर नींद जिन्हें नहीं है आयी,
हर मोड़ पर परछाई सा साथ दिया जिन्होंने,
मेरे देवता, मेरे मित्र, मेरे पिता, मेरी परछाई
कोरा कागज था मै , उन्होंने अपनी स्याही से मेरी रूप रेखा है सजाई,
बेरंग सी जिंदगी में मेरी रंगीन उज्ज्वल आकृति है बनाई,
ऐसे महान व्यक्ति को हृदय से मेरा प्रणाम,
मेरे देवता, मेरे मित्र, मेरे पिता, मेरी परछाई….
ईश्वर की अलौकिक रचना ,जिसने धरती में ही जन्नत दिखाई,
सुन्दर हृदय, दयावान , और विचारों में जिसके है गहराई,
साथ हमेशा मेरे रहते ऐसे है –
मेरे देवता, मेरे मित्र , मेरे पिता , मेरी परछाई…
-प्रफुल्ल जोशी, हल्द्वानी
June 5, 2020
Bahut khub
June 9, 2020
ATI Sundar Kavita