पिता रोटी है, कपड़ा है, मकान है,
पिता नन्हे से परिंदे का बड़ा आसमान है।
पिता है तो घर में प्रतिपल राग है,
पिता से मां की चूड़ी, बिंदी और सुहाग है।
पिता है तो बच्चों के सारे सपने हैं,
पिता हैं तो बाजार के सब खिलौने अपने हैं।
है भगवान का रूप वो जो पिता कहलाता है,
जिसने मुझे लाड़ से पाला और सख्त होकर सुधारा है।
मेरे खातिर मुझे डांटा, मेरे पापा मुझको प्यारे हैं,
मां अगर घर में रसोई है….
तो चलाता है जिसे घर वो राशन है पिता
मां के बिना सिर्फ एक घर अधूरा हो जाता है।
और पिता के बिना पूरी दुनिया ही अधूरी हो जाती है,
पिता का हाथ और पिता का साथ बहुत नसीब वालों को मिलता है।
-रतिका चैरसिया, होली टिृनिटी सेकेंडरी स्कूल लालकुआं