पिता पीठ पर हम बैठे, हांका करते गाड़ी
झूठ मूट का रोते जब, हमने मूंछ उखाड़ी।
हमने मूंछ उखाड़ी, मिलता था बड़ा दुलार
पिता आपके जाने से, अब सूना पड़ा संसार ।
उनको अपनी शरण, में ले गए आज परमपिता
रोता बिलखते छोड़, स्वर्ग चले गए आज पिता ।
पिता घर भर की धूप थे, पिता बरगदी छांव
आज पिता के जाने भर से, सूना सूना गांव।
सूना सूना गांव, गए बहुत ही आप दूर
साथ अपने ले गए मां की चूड़ी और सिंदूर।
हो गए आज अनाथ जब जली तुम्हारी चिता
भाटी ‘ इस संसार में, धनी वो हैं जिसके पिता।
धोती व कुर्ता पहनकर रखते थे सदा इक बेंत
बुजुर्ग पिता के निधन से, सभी सूने सूने खेत
सभी सूने सूने खेत, हो गए हम आज अनाथ
नाते रिश्तेदारों ने भी छोड़ दिया है साथ
जब से स्वर्ग सिधारे मां दिन भर सारे अब रोती
वस्त्र रंग बिरंगे गायब मां पहने केवल सफ़ेद धोती।
-सतेंद्र कुमार भाटी (हिंदी शिक्षक नवोदय विद्यालय)