पिता के चरणों में आज शीश नवाएं
आओ मिलकर सब पितृ दिवस मनाएं।
पापा का ना करना कभी अपमान,
वो तो होते हैं हमारा स्वाभिमान।
मेरा साहस मेरी शान है पापा,
मेरे संस्कार और मेरी पहचान है पापा।
मेरी हिम्मत और मेरा मार्गदर्शक है पापा,
धैर्य और संघर्ष की मिसाल है पापा।
दुख चाहे कितना भी आए बच्चों पर पड़ने न देते उसका साया।
वृक्ष की शीतल छाया जैसे खड़े हो जाते हैं पापा।
भीगी आंखों का हौसला होते हैं पापा,
मां जब डांटे, पुचकारते हैं पापा।
बेटियों की ढाल बनते हैं पापा,
बेटियों को बेटों से आगे लाते हैं पापा।
इनकी ममता का कोई मोल नहीं होता
बेटियों के लिए सबसे अनमोल होता है ये रिश्ता।
आज आप नहीं हो पापा पर ईश्वर के रूप में
मौजूद आज भी आपका स्वरूप है पापा।
आप नहीं, आपका आशीर्वाद हमारे साथ है पापा,
और आपका नाम ही हमारी पहचान है पापा।
पापा आपके प्यार का आदि न अंत
इसलिए श्रद्धा नमन तुम्हे करते सदा हम।
-बीना सजवाण, हल्द्वानी