पापा हर फर्ज निभाते हैं,
बच्चे अपना फर्ज भूल जाते हैं,
जीवन भर कर्ज चुकाते हैं,
बच्चों की एक खुशी के लिए,
अपने दुख-सुख भूल जाते हैं।
फिर क्यों ऐसे पिता के लिए
बच्चे अपना फर्ज भूल जाते हैं,
पिता की आवाज मेरे लिए सुकून हैं,
दुनिया को जीत लूं फिर कोई हर्ज नहीं है,
पिता की मुस्कान मेरी ताकत है,
बच्चों का है जीवन सुखदायी
परंतु बच्चे ये क्यों भूल जाते हैं।
जिसने सब कुछ सिखाया है,
जिसने सब कुछ पाया है,
ऐसे पिता को मेरा कोटि-कोटि प्रणाम है।
दुनिया से सबसे ज्यादा,
आप ही मेरे लिए खास है पापा,
सच कहती हूं विश्वास करो,
जीवन भर सदा खुश रहोगे,
पिता का करो सदा सम्मान।
-मनीषा जोशी, केवीएम पब्लिक स्कूल हल्द्वानी