हर बच्चे को बचपन में
पापा का प्यार चाहिए,
पर मेरा प्यार कहां गया
बचपन में जब आप
बेटा कहकर कभी-कभी पुकारते थे,
तब मेरा दिल खिला-खिला उठता था
तब मैं दौड़ी चली आती थी
पापा आप कहां खो गए।
इस बेटी की आवाज सुनो पापा
हर बात आपकी मानी मैंन,े
चाहे मुझे दर्द हो
फिर भी कभी जवाब न दिया,
पापा मुझको वो प्यार दे दो
जिसकी मुझे जरुरत है
पाप आप कहां खो गए।
कभी भी आपने प्यार की भाषा न बोली मुझको
जिसके लिए मेरे कान तरस गए
हर शब्द कहते डर लगता है
मम्मी से कहती बात फिर आप तक पंहुचती
इतना डर है इस बेटी में,
पापा आप कहां खो गए।
पापा आपने मेरी सब इच्छाएं पूरी की
मुझे इतना पढ़ाया,
मुझे इस दुनिया में लाए
मुझे बहुत गर्व है मैं आपकी बेटी हूँ
मेरी एक ही इच्छा है
मुझे आपका प्यार चाहिए
पापा आप कहां खो गए।
-कु0 दीपिका, चाणक्य लाॅ काॅलेज, रूद्रपुर
June 7, 2020
True emotions from heart….
June 7, 2020
Fabulous and heart touching
June 9, 2020
Eye drenching poem; it seems that the lines of the poem come from the core of someone’s heart