September 20, 2017 6Comments

पप्पू तो रावण की सेना में जाएगा


हास्य-व्यंग्य
रामलीला का सीजन आते ही चंदा शुरू, धंधा शुरू और कटना बंदा शुरू। पहले शहर में एक रामलीला होती थी, आजकल हर मोहल्ले में होती है। सबकी अलग-अलग रामलीला कमेटी। हर कमेटी का अलग चुनाव। चुनाव के लिए हर साल महाभारत। सुना है कि इस बार रामलीला कमेटी के पूर्व अध्यक्ष ने वर्तमान अध्यक्ष पर चंदे में घोटाले का आरोप लगाकर खूब बवाल किया। वर्तमान अध्यक्ष ने भी पूर्व अध्यक्ष पर अपने समय में घोटाले को पहले देखने की नसीहत दे डाली। दोनों ने एक दूसरे को सरेआम सड़क पर चप्पलों से पीटा। उनसे कुछ नहीं कहा जा सकता क्योंकि राम नाम की लूट है, लूट सके तो लूट। अंतकाल पछताएगा, जब पद जाएगा छूट।
खैर शहर की आठ रामलीलाओं को चंदा देने के बाद दशरथ कुमार ने एक रामलीला कमेटी के अध्यक्ष पेटूराम से कहा-इस बार उनके बेटे पप्पू को भी रामलीला में कोई पात्र अदा करने देने की कृपा करें। उसने फौरन चंदे की रकम दुगुनी कर दी और दो हजार रूपये की पर्ची काट दी। दशरथ ने संतोष किया-बच्चों में अच्छे संस्कार डालने के लिए इतना तो करना ही पड़ेगा। पेटूराम बोले-पप्पू को राम की सेना में भर्ती करना है या रावण की। दशरथ ने कहा कि राम की सेना ठीक रहेगी क्योंकि वह बच्चे को संस्कारी बनाना चाहता है। पेटूराम के चेहरे पर कुछ चमक सी आई बोले-राम की बंदरों वाली सेना सबसे अच्छी है। खर्चा भी ज्यादा नहीं होता है। सिर्फ एक लाल रंग का चमकीला कच्छा पहनाना पड़ता है। देखेंगे अगर कोई डंडा बचेगा तो गदा के रूप में उसे भी थमा देंगे। साइंस के अनुसार बंदरों की पूंछ अब लुप्त हो चुकी है, इसलिए पूंछ का खर्चा बच जाता है। बस जय श्रीराम, जय श्रीराम बोलना है।
बात चल रही थी कि इतने में पप्पू दरवाजे पर आ गया। सबकुछ सुनकर उसने जिद पकड़ ली कि वो रावण की सेना में ही भर्ती होगा। पप्पू ने कहा कि मुझे रावण अंकल की तरह काले कोट वाली ड्रेस पहननी है। खाली लाल कच्छा पहनूंगा तो मेरे मोहल्ले वाली गर्लफ्रेंड स्वीटी मुझ पर हंसेगी। पप्पू ने पैर पटकना शुरू किया। दशरथ ने समझाया-बेटा केवल ड्रेस में कुछ नहीं रखा है। चरित्र मुख्य है। तुम्हें राम की तरह बनना है, तभी लोग तुम्हारी इज्जत करेंगे। पप्पू बिदक चुका था-आप तो चाहते हैं कि भगवान राम की तरह आपके कहने पर जंगल चला जाउं और छोटू को आप मेरा वीडियो गेम, खिलौने, साइकिल, कमरा सब सौंप दें। दशरथ ने पप्पू को फिर समझाया-देखो बेटा ऐसा नहीं बोलते, छोटू तुम्हारा भाई है। समाज क्या कहेगा, अखबार में खबर आएगी कि ‘भाई-भाई में हुई लड़ाई‘। पप्पू को कुछ सुनना मंजूर नहीं था-अखबार का क्या है। जब रावण के पुतले का साइज छोटा होता है तो कहते हैं महंगाई में घटा रावण का कद। जब साइज बड़ा किया जाता है तो कहते हैं समाज में बुराइयों के साथ रावण का कद बढ़ा। अखबारों वालों को बस तिल का ताड़ बनाना आता है। पप्पू अपनी जिद पर अड़ा था। उधर, पेटूराम दूसरी जगह चंदा मांगने और पहले आपस में तय करने की बात कहकर वहां से चले गए।

-गौरव त्रिपाठी, युवा व्यंग्यकार, हल्द्वानी, उत्तराखंड
9411913230

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gtripathi

6 comments

  1. वाह गौरव जी .पप्पू तो बस पप्पू है ऐसी ही नादानियां करता आया है

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  2. धन्यवाद ता रा जी।

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  3. बहुत ही उम्दा लिखा मित्र …पर इसकी रोचकता शुरू होते ही समापन ….इसे विस्तार देंगे तो अत्यंत विस्फोटक होगा दीवाली पर पटाखे की तरह…शुभकामनाये आपको

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  4. बहुत खूब गौरव जी
    पढ़कर मजा आ गया

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  5. धन्यवाद मीना जी

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