सबकुछ नया
शुरू सुंदर कहानी,
आंखें खुलीं जब,
दिखी दुनिया सुहानी।
बड़ी हिफाजत से मुझको उठाया,
माथा चूम सीने से लगाया,
पहला कदम जो मैंने उठाया,
पीछे सहारा बन गिरने से बचाया।
पैडल पर मैंने हां
धक्का खुद था मारा,
जब भी गिरी मैं,
खुद उठना है सिखाया।
रूकावट से नहीं डरना,
खुद करनी है चढ़ाई,
ये सीखा मैंने उनसे,
मेरे पिता, मेरी परछाईं।
-उर्वशी भट्ट, हल्द्वानी