शाम हो गई अब तो घुमने चलो ना पापा,
चलते-चलते थक गई अब तो कंधों पर बिठा लो ना पापा।
अंधेरे से डर लगता है सीने से लगा लो ना पापा,
मम्मा तो सो गई आप ही थपकी देकर सुला दो ना पापा।
स्कूल तो पूरा हो गया,
अब काॅलेज जाने दो ना पापा।
पाल पोसकर बड़ा किया,
अब जुदा तो मत करो ना पापा।
अब डोली में बिठा ही दिया तो,
आंसू तो मत बहाओ ना पापा।
आप की मुस्कुराहट अच्छी है,
एक बार मुस्कुराओ ना पापा।
आप ने मेरी हर एक बात मानी,
एक बात और मान जाओ ना पापा।
इस धरती पर बोझ नहीं मैं,
ये दुनिया को समझाओ ना पापा।
-तनुजा कबड़वाल, हल्द्वानी