मुझको जीवन देने वाले
तुम मेरे लिए महान थे
खुद तपती धूप में चलते थे
करते पथ मेरा आसान थे
मुझे बालिका होने पर भी
शिक्षा ऊंची दिलाने वाले
हे पिता मेरे तुम भगवान थे
पिता ही तो बच्चों का
आसमान खुला सा होता है
उसका हाथ रहे सिर पर तो
राह आसान सा होता
जो पिता का साया उठ जाता
सिर उघड़ा सा रह जाता।
कोई सहारा जंच ना पाता
जीवन रीता सा रह जाता है
हरदम आंखों को आशा रहती
दीदार पिता के हो जाए
हकीकत में चाहे ना होवे
ख्वाब में दीदार तो हो जाए ।
-डॉ आभा सिंह भैसोड़ा