तुम बिन सूना सावन मेरा, सूने लगते झूलें हैं,
तुम बिन फागुन सूना मेरा, सूने लगते मेलें हैं,
तुम बिन, तुम बिन, तुम बिन, तुम बिन ना पूछो क्या हैं तुम बिन,
तुम बिन नींद अधूरी मेरी, तुम बिन स्वप्न अकेले हैं।।
तुम बिन गाँव का पनघट सूना, सूना उसका यौवन हैं,
तुम बिन घर की देहरी सूनी, सूना घर का आंगन हैं,
तुम बिन, तुम बिन, तुम बिन, तुम बिन,ना पूछो क्या हैं तुम बिन,
तुम बिन मन मन्दिर हैं सूना, सूना मेरा जीवन हैं।।
तुम बिन राजा ऐसा मैं ना जिसकी कोई रानी हैं,
तुम बिन जीवन आधा मेरी, आधी इसकी कहानी हैं,
तुम बिन, तुम बिन, तुम बिन, तुम बिन, बस इतना ही हैं तुम बिन,
तुम बिन ना एहसास कोई हैं, ना आंखो में पानी हैं।।
-शेखर पाखी
रुद्रपुर, उत्तराखंड