मुश्किल राहों को भी जो सरल बनाता है,
खता होने पर भी जो गले लगाकर समझाता है।
सबका साथ छोड़ने पर भी जो साथ खड़ा रहता है,
ऐसा दुनिया में कोई और नहीं सिर्फ पिता है।
आंख खुलते ही जो थाम लेता है हमारा हाथ,
जिंदगी भर जो निभाता है हमारा साथ।
बचपन से ही जो बन जाता है हमारी ढाल,
अपने तारे को जो सिखाता है उसकी सही चाल।
रूठ के बिन खाये सोने पर जो मुझे मनाते हैं,
मुझे हर सुख देने को जो अपनी जान लगाते हैं।
यार तो नहीं पर उनसे ज्यादा साथ निभाते हैं,
शायर तो नहीं पर उनसे ज्यादा प्यार दर्शाते हैं।
बिन विश्वास दुनिया ना चले, बिन पिता घर ना साजे,
दीपक मंदिर में प्रकाश करे, पिता घर को उज्ज्वल करे।
जब अपना भगवान रूठ जाए तब भी पिता ही साथ चले,
मुश्किल राहों को भी वह ही सरल बना दे।
दिन-रात अपने बच्चों के लिए करते हैं कड़ी मेहनत,
मेरी हर बात और इच्छा से हो जाते हैं सहमत।
मुझ पर आने वाले हर कष्ट को करते हैं दूर,
मुझमें और मेरे जीवन में भर देते हैं नूर।
हर काम सिखाते हैं कि मैं बन सकूँ आत्मनिर्भर,
मेहनत का ही खाने को कहते हैं कि मैं ना हूं किसी पर निर्भर
बस वह चाहते हैं कि मेरा जीवन हो उज्ज्वल,
और मुझे भविष्य मैं ना हो कोई मुश्किल।
पिता जैसा यार पूरी दुनिया में कहां,
पिता के साथ वाला सुकून स्वर्ग में भी कहां,
खुदा की सबसे कीमती देन है पिता,
जिंदगी का दूसरा नाम है पिता।
-हिमांशु बोरा, लेक्स इंटरनेशनल स्कूल भीमताल